हर्ष कालीन गोविषाण राज्य से लेकर वर्तमान के काशीपुर का सफर

गोविषाण काशीपुर का प्राचीन नाम है जिसका अर्थ होता है गाय की सींग । लेकिन चंद साशनकाल में काशीपुर का नाम कोटा था । काशीपुर को ही उज्जैनी नगरी भी कहा जाता है ।
राजा हर्षवर्धन के शासन से पहले गोविषाण राज्य कर्तपुर राज्य का अंग था जिसके अंतर्गत वर्तमान के रामपुर काशीपुर और पीलीभीत आते थे ।
हर्ष के समय में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेंसांग सन गोविषाण राज्य में घूमने आया था ।
राजा हर्षवर्धन के बाद हिमालयी क्षेत्र ब्रह्मपुर शत्रुघ्न और गोविषाण राज्यों में टूट गया। राजा हर्षवर्धन के समय ये तीनों राज्य कन्याकुब्ज नाम के राज्य का हिस्सा थे ।
इन तीनों राज्यों में से सबसे बड़ा राज्य ब्रह्मपुर था । कन्याकुब्ज राज्य का तीसरा हिस्सा गोविषाण था । इस गोविषाण राज्य में वर्तमान के काशीपुर रामपुर और पीलीभीत शामिल थे तथा इस राज्य का विस्तार रामगंगा नदी से लेकर शारदा नदी तक था ।
कुमाऊं के चांद राजाओं के समय लाट अधिकारी एक पद था तो 1639 में काशीनाथ अधिकारी ने काशीपुर को बसाया था ।
और राजा देवीचंद ने तराई का मुख्यालय रुद्रपुर से काशीपुर में स्थानांतरित किया था ।
1777 ईसवी के समय लाट अधिकारी नंदराम ने खुद को काशीपुर का स्वतन्त्र राजा घोषित कर दिया था लेकिन 1790 में जब गोरखाओ ने अल्मोड़ा को जीत लिया और कुमाऊं से चांद राजाओं का पतन हो गया तो नंदराम ने काशीपुर का ये छेत्र अवध के नवाब को दे दिया ।
1801 में काशीपुर के राजा शिवलाल ने काशीपुर को अंग्रेजों के हाथो में सौप दिया । अंग्रेजों ने 1872 में काशीपुर को नगरपालिका बना दिया गया था जिससे ये पता चलता है की अंग्रेजों ने भी काशीपुर के विकास के लिए काम किया था ।
उत्तराखंड के सबसे पुरानी सूती वस्त्र मिल काशीपुर में ही है। काशीपुर ढेला नदी के किनारे बसा हुआ है।
भारत का 13वा आई आई एम साल 2011 में काशीपुर में ही खोला गया और 2013 को काशीपुर को नगर निगम बनाया गया।

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