कुमाऊं का प्रवेश द्वार काठगोदाम

सभी दोस्तो को मेरा नमस्कार मैं आपका दोस्त विवेक आप सभी को भाभर के पहले सबसे प्रमुख नगर हल्द्वानी के बारे में आप सभी को बता चुका हूं, लेकिन अब बारी है दोस्तो काठगोदाम नगर के बारे में जानने की तो मित्रो सभी को आज मैं भाभर के दूसरे प्रमुख नगर काठगोदाम के बारे में बताऊंगा । मित्रो काठगोदाम नगर भी उत्तराखंड के पुराने नगरों में गिना जाता है ।

घूमी आला दाज्यू म्यार् पहाड़ा, देखी आला पहाड़े की बहारा

मेरी इन कुमाऊनी पंक्तियों से ही स्पष्ट है यारो की पहाड़ की बहार ही कुछ और है काठगोदाम के बारे में इसलिए इन पंक्तियों का जिक्र किया है क्योंकि ये नगर ही कुमाऊं मंडल का प्रवेश द्वार कहलाता है । अर्थात पहाड़ों में घूमने की एंट्री यही से मिलती है यही से आगे को जाकर आप नैनीताल , अल्मोड़ा , रानीखेत भवाली , मुक्तेश्वर , रामगढ़ , भीमताल, खैरना, सुयालबाड़ी, पिथौरागढ़ , बागेश्वर, सोमेश्वर , गरुड़ , कौसानी जैसे खूबसूरत पहाड़ी नगरों को घूम सकते है। इन सभी नगरों की यात्रा आप मेरे साथ आगे की कहानी या आर्टिकल में पड़ेंगे,

जिसको पुराने समय में बमोरीघाटा तथा गुलाब घाटी के नाम से जाना जाता था । इस नगर में ब्रिटिश काल में काठ अर्थात लकड़ी का गोदाम कहा जाता था ।इसे कारण इसका नाम काठगोदाम पड़ा ।

1882 में हल्द्वानी से काठगोदाम को सड़क मार्ग के द्वारा जोड़ा गया था । और ठीक इसके 2 वर्ष बाद 1884 में किच्छा से लालकुआं और लालकुआं से काठगोदाम तक रेल लाइन बिछाई गई थी।

काठगोदाम रेलवे स्टेशन का निर्माण 1884 को हुआ तथा 1996 में इसे बड़ी ब्रॉडगेज लाइन बनाया गया था । कुमाऊं में यदि सर्वप्रथम कहीं पर रेल आई तो वह काठगोदाम ही था ।

काठगोदाम के प्रमुख पर्यटन स्थल

वैसे तो काठगोदाम का इलाका है छोटा सा लेकिन घूमने के लिए काफी अच्छा है अगर मैं आप लोगो से अपने पर्सनल बात रखूं तो मुझे हल्द्वानी से जड़ा काठगोदाम ही घूमना पसंद है । क्योंकि वह से नहान पर्वतों का जो दृश्य देखने को मिलता है वो हल्द्वानी से नहीं मिलता। पहाड़ इतने पास लगते है की ऐसा लगता है की उनकी गोदी में बैठ जाओ और एक सुकून भरा दिन आपको महसूस होता है

1. माता शीतला देवी मंदिर

काठगोदाम से ऊपर को नैनीताल के और को बड़ने पर मुख्य सड़क मार्ग से बाई ओर माता शीतला देवी मंदिर का मुख्य द्वार है और ऐसे थोड़ी दूरी तक पैदल मार्ग में चलने पर माता रानी के भव्य दर्शन होते है । कहते है माता शीतला के दरबार में कुष्ठ रोगों या त्वचा के रोगों से मुक्ति मिलते है ।

2. गौला बैराज

काठगोदाम चौराहे से चोरगलिया की ओर बड़ने पर कुछ ही दूरी पर स्तिथ है गौला बैराज जहा हर दिन पर्यटकों का मेला सा लगा रहता है। गौला नदी में बना ये बैराज काफी पुराना है जो गौला नदी के प्रवाह पर अंकुश लगाने में सक्षम है। लेकिन 17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर 2021 में भीषण वर्षा में गौला नदी ने अपना विकराल रूप तो दिखाया ही था। गौला नदी के इस प्रवाह से गौलापार का पुल क्षतिगग्रस्त हो गया है जिस कारण उस मार्ग से आवाजाही बंधित हुईं है।

3. रानीबाग चित्रशिला घाट

माता शीतला देवी मंदिर से कुछ दूरी पर यह घाट मुक्ति धाम है हर दिन यह पर दाह संस्कार होता है । किंतु इस स्थल की प्राचीन मान्यता भी है पिथौरागढ़ के कत्यूरी राजा पिथौरा की छोटी रानी जियारानी ने रूहेलाओ की सेना को परास्त किया था। इस जगह पर जियारानी का घागरा भी है जो वर्तमान समय में पाषाण शिला के रूप में विद्यमान इस जगह पर जियारानी का मेला भी लगता है ।

4. सी. आर.पी. एफ की बटालियन

काठगोदाम से चोरगलिया वाली रोड पर ओखलकांडा मार्ग से कुछ दूरी पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक बटालियन स्तिथ है।

डोस्टोब्वेज घूमने को काफि कुछ है काठगोदाम के पास लेकिन हमने कुछ प्रमुख जगह के बारे में बात करी बाकी बाते हम और आप आगे के लेखों में करेंगे फिर मिलते है जल्द ही ।

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